परम आदरणीय सुहृदजन आप सबके समक्ष यह निवेदित करते हुए अत्यन्त आनंद एवं हर्ष का अनुभव हो रहा है कि प्रभु श्रीराम के जन्म स्थल पर भव्य मन्दिर निर्माण के उपलक्ष्य एवं प्रभु के निज भवन में विराजमान होने के आनंदोत्सव रूप में आयोजित 21 श्री रामार्चन महायज्ञ एवं श्री राम कथा का प्रथम शुभारम्भ आगामी 20 अक्टूबर से 28 अक्टूबर 2023 तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, गोमती तट पर स्थित खाटूश्याम मन्दिर, वीरबल साहनी मार्ग के प्रांगण में श्री रामचरणानुरागी सुप्रसिद्ध कथा व्यास एवं धर्माचार्य परमपूज्य स्वामी अमरेश्वरानंद जी महाराज, अयोध्या धाम के श्रीमुख से ।

भगवान राम ने विषम परिस्थितियों में भी स्थिति पर नियंत्रण रख सफलता प्राप्त की उन्होंने हमेशा वेदों और मर्यादा का पालन किया। स्वयं के सुखों से समझौता कर उन्होंने न्याय और सत्य का साथ दिया। जानिए भगवान राम के 5 ऐसे गुण जिनकी वजह से उनका जीवन सफल हुआ और वो श्री राम के वो गुण जिन्होंने बनाया उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम।

  • सहनशील व धैर्यवान - सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का प्रमुख गुण है। अयोध्या का राजा होते हुए भी श्री राम ने संन्यासी की तरह ही अपना जीवन व्यापन किया। यह उनकी सहनशीलता को दर्शाता है।
  • दयालु स्वभाव - भगवान राम काफी दयालु स्वभाव के रहें। उन्होंने दया कर सभी को अपनी छत्रछाया में लिया। उन्होंने सभी को आगे बढ़ कर नेतृत्व करने का अधिकार दिया। सुग्रीव को राज्य दिलाना उनके दयालु स्वभाव का ही प्रतिक है।
  • मित्रता - हर जाति, हर वर्ग के व्यक्तियों के साथ भगवान राम ने मित्रता की। हर रिश्तें को श्री राम ने दिल से निभाया। केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण सभी मित्रों के लिए उन्होंने स्वयं कई बार संकट झेले।
  • बेहतर नेतृत्व क्षमता - भगवान राम एक कुशल प्रबंधक थे। वो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। भगवान राम के बेहतर नेतृत्व क्षमता की वजह से ही लंका जाने के लिए पत्थरों का सेतु बन
  • भाई के प्रति प्रेम - भगवान राम ने अपने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। इसी कारण से भगवान राम के वनवास जाते समय लक्ष्मण जी भी उनके साथ वन गए। यही नहीं भरत ने श्री राम की अनुपस्थिति में राजपाट मिलने के बावजूद भगवान राम के मूल्यों को ध्यान में रखकर सिंहासन पर रामजी की चरण पादुका रख जनता की सेवा की।